आयुर्वेद के अनुसार भोजन के 21 नियम || Bhojan Karne Ke Niyam

Bhojan Karne Ke Niyam- आज हम इस पोस्ट में आपको, भोजन कब और कैसे करना चाहिये, भोजन करने का सही समय क्या है , भोजन को खाने का क्या तरीका है। भोजन के साथ साथ कुछ आपको दैनिक जीवन से जुडी महत्वपूर्ण बातें जानने को मिलेगा।

जो आपके ख़राब जीवन शैली को बदलकर नए ज्ञान से जोड़ देगा। आपका दैनिक जीवन ऊर्जा और जोश से भर जायेगा। ऐसे में पोस्ट में दिए गए एक-एक फैक्ट को ध्यान पुर्बक पढ़ने का प्रयाश करें।वात दोष में क्या खाना चाहिए? खाना कब और कैसे खाएं? । इसके अलोवा भोजन से सम्बंधित बहुत कुछ रहस्य जानने को मिलेगा।

No.भोजन के 5 नियम
1.किसी भी भोजन को बनाने के बाद, ४८ मिनट के अंदर खा लेना चाहिए। अगर आप इसके बाद भोजन करते है तो, भोजन की पौषीतिकता नष्ट होने लगती है। और भोजन धीरे धीरे बासी होने लगता है। आपको बता दें, की बासी भोजन जानवरो को भी नही खिलाई जाती है।
2.खाना को उतनी बार चबाना चाहिए, जितने हमारे दांत होते है। यानी ३२ बार चबाना चाहिए। ऐसा करने से भोजन मुह की लार में अच्छी तरह से मिल जाता है। और खाना आसानी से पचाने मे मैदान करती है। खाना chaaba chabaa कर खाने से मोटापा नही बढ़ता है। और हमारा शरीर फिट रहता है। हमारी मांशपेशिया शख्त रहती है।
3.भारत की जलवायु मे एक ही दिन बासी भोजन कर सकते है। वो है बसोडा का त्यौहार। इस दिन शरीर की वात पित और कफ की स्थिति के हिसाब से बासी भोजन बेहद लाभदायक होता होता है. इस त्यौहार के पीछे एक वैज्ञानिकता भी है।
4.आपके बेहतर जानकारी लिए बता दें, की साग सब्जी, फल फूल घर लाने के बाद, सेंधा नमक डाल कर गर्म पानी से धुल ले. जिससे उसका जहर निकल जायेगा. फिर खाने के उपयोग मे लाये.
5.खाना खाने से महत्वपूर्ण है भोजन को पचाना, भोजन जितना पचेगा बीमारिया शरीर से उतना ही दूर रहती है. ऐसे मे महत्वपूर्ण यह है. बीमारी के इलाज करने से पहले उससे बचने का प्रयास करें। अगर भोजन पचेगा तो रस बनेगा। और उसी रस से मांश मज़्ज़ा मल मूत्र वीर्य सही ढंग से काम करता है।

आयुर्वेद के अनुसार क्या खाना चाहिए | AYURBED ME BHOJAN KARNE KE NIYAM 

Bhojan Karne Ke Niyam- क्या आपको पता है, भोजन के अंत मे या बीच मे पानी पीना विष के सामान है. भोजन पचने की क्रिया मे यह अवरोधक होता है. ऐसे मे खाने के कुछ समय पूर्व ही पानी को पी लेना चाहिए. जिससे बीच मे पानी पीने की जरुरत ना पड़े.

आयुर्वेद के अनुसार जानें ५ भोजन के नियम- क्या, कब और कैसे खाना चाहिए
जैसे भोजन पकाते समय चूल्हे पर पानी पड़ने से भोजन पकाना बंद हो जाता है । वैसे ही खाते समय जब हम पानी पीते है । तो हमारे शरीर की जठरअग्नि में भोजन पचना बंद हो जाता है । पानी पीने के बाद भोजन पचता नहीं है । फिर सड़ना शुरू हो जाता है । और जिसके कारण से हमारे पेट में अनेक प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाता है ।

इसके परिणाम स्वरूप पेट में गैस बनता है । और फिर तमाम विमारियां धीरे धीरे घर बना लेती है । जैसे भगंदर और फिर कैंसर जैसे रोग भी सुरू हो जाते है । भोजन के सड़ने से ही खराब वाला कोलेस्ट्रॉल बनता है । जिसके कारण हृदयघात का खतरा बड़ जाता है ।

हमेशा फल सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले ही खाना चाहिए । फल नेचुरल तरीके से पका होना चाहिए । जो अमृत के समान होता है । यदि केमिकल से पका फल खाते है तो यह नुकसान दायक होता है ।

सूर्य उदय के ढाई घंटे के भीतर अच्छा पुष्टि वाला नाश्ता लेना चाहिए , या फिर इसी समय के अंदर ही भोजन कर लेना चाहिए । इस समय जठराग्नि सबसे तीब्र रहता है । दिनभर थोड़ा थोड़ा खाने से बचना चाहिए। ऐसा करने से हमारी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है ।


हमे गरिष्ट से गरिष्ट भोजन Nhi करना चाहिए । नाश्ता का त्याग करे । लांच करने की आदत डाले । भोजन के लिए एक निश्चित समय का तय करें। भोजन ऐसे समय पर करें, जिस समय जठराग्नि तीव्र हो।

ऐसे में आपकी भोजन की पाचन प्रक्रिया अच्छी होती है। थोड़ा-थोड़ा खाने की वाजय एक समय निश्चित करें, आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दें कि सूर्य उदय के ढाई घंटे के भीतर भोजन कर लेना चाहिए। क्योंकि इस समय जब जठर अग्नि सबसे तेज होती है.

अर्थात ऐसे समय में भोजन करने से भारी से भारी भोजन आसानी से पच जाता है। अगर भोजन के समय की बात करें, तो सूर्य उदय से 9:30 बजे तक भोजन को कर लेना चाहिए। ऐसे में लंच के बजाय नाश्ते की जगह भोजन को ग्रहण करें

जठर अग्नि सुबह के समय सबसे अच्छा काम करता है। ब्रह्म मुहूर्त से 4:30 बजे तक सबसे ज्यादा सक्रिय रहता है। इसी समय मनुष्य को सबसे ज्यादा हृदयाघात होता है।

आयुर्वेद के अनुसार भोजन कितनी बार करना चाहिए || Bhojan Karne Ke Niyam

आयुर्वेद के अनुसार जानें ५ भोजन के नियम- क्या, कब और कैसे खाना चाहिए
आयुर्वेद के अनुसार जानें ५ भोजन के नियम- क्या, कब और कैसे खाना चाहिए

Bhojan Karne Ke 14 Niyam- भोजन करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

  1. सुबह दोपहर या शाम के भोजन के बाद 20 मिनट की ब्रेक ले यानी विश्राम मुद्रा में रहे ।
  2. अर्थात देसी भगवान विष्णु शेषनाग पर टिप्पणी की मुद्रा में दिखाए गए हैं । वैसे ही विद्या चारपाई पर लेट कर विश्राम करना चाहिए।
  3. आपकी जानकारी के लिए बता दूं, कि हमारे शरीर में तीन प्रकार की नारियां पाई जाती हैं । सूर्य नाड़ी चंद्र नाड़ी और मध्य नारी इसमें भोजन के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूर्य नाड़ी है।
  4. यदि हम अपनी बाई तरफ करवट लेकर सोते हैं तो हमारी सूर्य नाड़ी एक्टिव हो जाती है।
  5. आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें, दोपहर का विश्राम 18 से 60 वर्ष तक के लोगों के लिए 1 घंटे तक होना चाहिए।
  6. क्या आपको पता है खाना खाने के बाद हमें नींद क्यों आती है। जब हम भोजन ग्रहण कर लेते हैं तो भोजन की पचाने के लिए शरीर के सभी अंगों से खून पेट की तरफ आता है। जिसके कारण शरीर में आलस बढ़ता है । और मस्तिष्क आराम की मुद्रा में जाने लगता है। यही वजह है कि हमें भोजन के बाद नींद आती है।
  7. भोजन के पश्चात दोपहर में नींद लेने की विषय में कई देशों के वैज्ञानिकों ने शोध किया। जिसकी फल स्वरूप, भोजन के पश्चात दोपहर में सभी कर्मचारियों को आराम के लिए मौका मिलता है ।
  8. इसके पीछे का कारण यह है कि जिन कर्मचारियों ने विश्राम अवस्था में नहीं आया है तो उसके काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है।
  9. खाना खाने के बाद शरीर में रक्त दबाव बढ़ जाता है । वजह है सुबह और दोपहर के बाद 20 से 40 मिनट का विश्राम जरूर लेना चाहिए। उसके बाद अपने रोजमर्रा जिंदगी में एक्टिव होना चाहिए
  10. शाम के भोजन के बाद कम से कम 2 घंटे तक विश्राम नहीं करना चाहिए क्योंकि या हानिकारक साबित हो सकता है। शाम को खाना खाने के बाद तुरंत विश्राम करने से हृदयाघात तो हो सकता है मधुमेह जैसी बीमारियां शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
  11. क्योंकि इस समय संध्या का समय होता है। जो कि शीतल रहता है। जिसके फलस्वरूप हमारे शरीर का रक्त दाब कम रहता है। और विश्राम करने से हानि पहुंचने लगती है। ऐसे में खाना खाने के बाद दो हजार कदम जरूर चलना चाहिए। इसके अलावा धीरे-धीरे कदमों से टहल भी सकते हैं।
  12. क्या आपको पता है शाम के समय टहलना सुबह से ज्यादा लाभदायक होता है। ऐसे में शाम को जरूर टहलना चाहिए। शाम को खाना खाने के बाद 10 मिनट वज्रासन पर जरूर बैठना चाहिए। यदि आप किसी कारण बस टहलने में सक्षम नहीं है तो ।
  13. खाना खाते समय हमारे मन और मस्तिष्क का संतुलन सामान्य रहना चाहिए। पॉजिटिव थिंकिंग होनी चाहिए। जिससे पाचक रसों को बनने में सहायता मिलती है। और खाना आसानी से पच जाता है।
  14. यही कारण है कि वैदिक काल में खाना खाने के पूर्व मंत्र का उच्चारण करना या फिर भगवान से प्रार्थना किया जाता था। जिससे कारण खाना खाते समय चित और मन दोनों शांत रहते थे । जबकि आज के आधुनिक युग में ऐसा नहीं हो रहा है।

भोजन का विधान || Bhojan Karne Ke Niyam

Bhojan Karne Ke Niyam- आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दें । कि भोजन को फ्रिज में रखने के पश्चात दोबारा गर्म नहीं करना चाहिए। क्यों कि ऐसा करने से शरीर को नुकसान पहुंचता है। ऐसे में भोजन को निकालने के 48 मिनट बाद खाना चाहिए। या फिर 1 घंटे बाद खाना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे दोबारा गर्म करके भोजन ना करें।

  • दिन में भोजन करने के पश्चात चूने के साथ देसी हरे पत्ते का पान अवश्य खाएं । आपको पथरी है तो ऐसा ना करें
  • शरीर के अनुकूल ही ठंडा और गर्म भोजन लेना चाहिए। अधिक ठंडा और अधिक गर्म नहीं खाना चाहिए। जैसे की आइसक्रीम ठंडा।
  • उपवास या टाइटीग करके कभी भी वजन कम ना करें । ऐसा करने से हमारे शरीर में प्रोटींस एंड विटामिंस की कमी हो जाती है। इसके फलस्वरूप हमारी जोड़ों का दर्द बढ़ने लगता है।

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